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जीत के मायने

भारत की आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के अलावा यह कारनामा करने वाले नरेंद्र मोदी तीसरे प्रधानमंत्री हैं। 2019 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की यह जीत कई मायनों में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। पिछले चार दशकों में भारत में ज्यादातर समय पूर्ण बहुमत की सरकारों का अभाव रहा। जिसे तोड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी ने पहले 2014 में देश को पूर्ण बहुमत की सरकार दी, और 2019 में एक बार फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार देने जा रही है। 2019 की यह जीत 2014 से ज्यादा प्रचंड और बड़ी है। बीजेपी के साथ-साथ उसके सहयोगी दलों ने भी 2014 के मुकाबले ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया। देश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में विश्वास जताते हुए लगभग एकतरफा रहे मुकाबले में बीजेपी और सहयोगियों पर खूब प्यार बरसाया। एक बड़ी जीत एक बड़ी जिम्मेदारी लेकर आती है। इसीलिए इस "जीत के मायने" पर चर्चा करना जरूरी हो जाता है।

पिछले कई दशकों के मिथक को तोड़ते हुए जनता ने जिन आशाओं, अपेक्षाओं, आकांक्षाओं और विश्वास के साथ प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी पर अपना प्यार और वोट लुटाया है, वह एक बड़ी जिम्मेदारी का अहसास कराता है। इस जिम्मेदारी का निर्वहन करना कहीं से भी आसान नहीं रहने वाला। देश के आखिरी छोर पर खड़े आमजन तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने और उनके जीवन में परिवर्तन लाने के लिए सरकार को अधिक प्रयास करने होंगे।

भारत विविधताओं से भरा देश है। इन विविधताओं के कारण समस्याओं का आकार, प्रकार और उनका निराकरण भिन्न है। मूलभूत समस्याएं जैसे बिजली, पानी, सड़क, रोजगार, कृषि आदि पूरे देश में समान रूप से हैं, जिनकी अपनी अलग चुनौतियां हैं। बिजली, पानी और सड़क के क्षेत्र में सरकार ने पिछले 5 वर्षों में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। भारत में 2019 से पहले के चुनाव इन्हीं तीन मुद्दों पर लड़े जाते थे। लेकिन इस बार चुनाव में विपक्ष द्वारा इनको मुद्दा ना बनाया जाना अपने आप में सरकार की सफलता को सिद्ध करता है। इसके बावजूद भी इन क्षेत्रों में अभी बहुत सुधार की आवश्यकता है। सतत प्रयास ही एकमात्र उपाय है, इनसे निपटने का। कृषि हमारे देश का आधार है। देश की 70% जनसंख्या आज भी कृषि पर ही निर्भर करती है। सरकार ने पिछले 5 वर्षों में अनेक योजनाएं लागू की जिनका सीधा लाभ किसानों तक पहुंचा है, परंतु यह सभी योजनाएं नाकाफी साबित हुई। कृषि से जुड़ी मूलभूत समस्याएं आज भी वैसी की वैसी हैं। इन पर सरकार को नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है। योजनाओं को तेजी से लागू कर देश के हर कोने तक इनको पहुंचाना होगा। सरकार के लिए यह सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक साबित होगी।

देश में बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या है। जिसे 2019 के चुनाव में एक प्रमुख मुद्दे के रूप में जनता के सामने रखा गया। बेरोजगारी पर सरकार व विभिन्न एजेंसियों के दावे व आंकड़े​ भ्रमित करने वाले हैं। परंतु कुल मिलाकर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से समुचित रोजगार उपलब्ध नहीं है। एक पंचवर्षीय में इस समस्या का निराकरण संभव नहीं है। परंतु 130 करोड़ की आबादी वाले देश के लिए बेरोजगारी की समस्या से निपटना आगे भी आसान नहीं रहने वाला। अगर सरकार ने इस ओर पूरा ध्यान न दिया तो, भविष्य में यह विकराल रूप धारण कर लेगी। जिसके परिणाम देश और सरकार दोनों के लिए सुखद नहीं होंगे।

देश में कुछ ऐसी समस्याएं भी हैं, जिनका हल खोजना या निराकरण करना फिलहाल असंभव सा जान पड़ता है। इनमें से कुछ समस्याएं जैसे यातायात, भ्रष्टाचार और आतंकवाद के निराकरण के लिए सरकार प्रयासरत है। लेकिन अभी अपेक्षित सुधार नहीं दिख रहा है। बढ़ती जनसंख्या के लिए यातायात के संसाधनों और सुविधाओं का सभी सरकारों ने खास ख्याल रखा है। परंतु इसमें सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहेगी। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर यातायात से जुड़ी समस्याओं को हल करने एवं यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए लगातार प्रयासरत रहने की जरूरत है। भ्रष्टाचार देश में आम जनमानस और सरकार दोनों के लिए एक बड़ा मुद्दा है। पिछले 5 वर्षों के दौरान सरकार के अथक प्रयासों के बावजूद इस पर लगाम लगाना संभव नहीं हो पाया है। कुछ क्षेत्रों में कुछ हद तक भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है, लेकिन यह नाकाफी है। भ्रष्टाचार को कम करके ही सरकार अन्य समस्याओं को सुलझाने में सफलता प्राप्त कर सकती है। इसके लिए स्पष्ट नीति और साफ नीयत के साथ काम करने की जरूरत है। आतंकवाद पर नरेंद्र मोदी सरकार की नीति का प्रतिफल दिखाई देने लगा है। इसे जारी रखने की आवश्यकता है।

इनके साथ-साथ ऐसी भी समस्याएं देश के सामने हैं, जिनके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है। इनके समाधान के लिए सरकार और पार्टी दोनों को अपने निजी हितों एवं स्वार्थ को त्याग कर आगे कदम बढ़ाना होगा। धारा 370, आर्टिकल 35a व समान नागरिक कानून कुछ ऐसी ही समस्याएं देश के सामने हैं, जिनका निराकरण जरूरी हो गया है। यह मुद्दे देश को बांटने का काम कर रहे हैं। इसलिए सरकार की यह जिम्मेदारी है, कि जनता का विश्वास हासिल करके उनके समाधान की तरफ आगे कदम बढ़ाया जाए। यह कतई आसान नहीं रहने वाला है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के लिए जिस दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया और जिस तरह से जनता को भरोसे में लेते हुए इसे सफल बनाया, उससे लोगों में उनके प्रति भरोसा बढ़ा है। जिसे वे इन समस्याओं को हल करने में इस्तेमाल कर सकते हैं।

भारत के लिए अगले 5 साल आर्थिक, सामाजिक और सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण रहने वाले हैं। हम जिस गति से आगे बढ़ रहे हैं, हमें और सतर्क रहने की जरूरत है। दुनिया भारत की तरफ आशा और आश्चर्य भरी निगाहों से देख रही है। सरकार को यह सोचना होगा कि किस तरह वह अपने नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के साथ-साथ देश को प्रगति के पथ पर तेज गति से आगे बढ़ा सकती है। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जीतने के बाद कहा  "ये हमारी नहीं, जनता की जीत है", तभी चरितार्थ होगा जब सरकार आम जनमानस के हितों एवं आशाओं को पूरा कर पाएगी, और तभी इस "जीत के मायने" पूर्ण होंगे। अन्यथा सरकारें तो आती-जाती रहेंगी।

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2 Comments

  1. जनता का भरोसा सेवा करके ही जीता जा सकता है।

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  2. समय बदल रहा है, जनता जागरूक हो रही है, अब राजनीति उतनी आसान नहीं। राजनेता इसे जितना जल्दी समझ लेंगे​ उतना ही अच्छा है।

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