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राष्ट्रवाद और देशभक्ति

देश में पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्र की अवधारणा, राष्ट्रवाद और राष्ट्रभक्ति को लेकर बहस चल रही है ।राष्ट्रवाद को आक्रामक और विभाजक कहा जा रहा है। राष्ट्रवाद और देशभक्ति अलग-अलग मानकर दोनों के बीच अंतर रेखांकित किया जा रहा है। राष्ट्रवाद को देशभक्ति का विरोधी बताया जा रहा है। कुछ बुद्धिजीवियों, इतिहासकारों और विवेचकों के अनुसार देशभक्ति उचित है, लेकिन राष्ट्रवाद निंदनीय​ है। अपनी बात को सिद्ध करने के लिए ऐसे कुतर्कों के प्रयोग किए जा रहे हैं, जो प्रायोजित जान पड़ते हैं।

राष्ट्रवाद और देशभक्ति


भारत में आजादी की लड़ाई के समय से ही देश की भाषाई, सांस्कृतिक और मान्यताओं की विभिन्नताओं का सहारा लेकर राष्ट्रवाद और देशभक्ति में विवाद पैदा कर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है। पिछले लगभग दो दशकों से यह विवाद गहराता जा रहा है।

एक राष्ट्रवादी और एक देशभक्त दोनों ही अपने देश की सीमाओं, संप्रभुता, संविधान, सांस्कृतिक धरोहरों और इतिहास से प्रेम करते हैं। लेकिन कुछ लोगों का मत है कि राष्ट्रवादी सुधारवादी और समावेशी नहीं होते, बल्कि इसके विपरीत देशभक्त उदारवादी और समावेशी होते हैं। यह विचार सत्य से परे है और निंदनीय भी है। भारतीय राष्ट्रवाद इसका जीता जागता उदाहरण है। भारतीय राष्ट्रवाद ने सभी धर्मों एवं संस्कृतियों को इस देश में उचित स्थान व मान-सम्मान दिया है।

एक और अंतर यह बताया जाता है कि जब देशभक्ति अंधभक्ति पर पहुंचती है, तब राष्ट्रवाद का आरंभ होता है। अर्थात राष्ट्रवाद आक्रामक होता है। राष्ट्रवादी अपने देश की हर अच्छाई और बुराई के साथ खड़ा होता है। यहां पर विचार करने योग्य है कि अपने देश की सीमाओं की सुरक्षा के प्रति, सामाजिक सुधारों को लागू करने के प्रति एवं अपनी सांस्कृतिक विरासत  और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के प्रति आक्रामकता क्या गलत है? दुनिया का कौन सा ऐसा देश,धर्म या समूह है जो इनके प्रति आक्रामक नहीं है, और यह गलत भी नहीं​ है। किसी भी देश, धर्म, समूह या व्यक्ति की एक अलग पहचान होती है और उसको कायम रखना सर्वथा उचित है।

राष्ट्रवाद देशभक्ति की ही वैचारिक अभिव्यक्ति है। दोनों में ही तथ्यात्मक विचार एवं प्रेम की भावना का समावेश है। राष्ट्र पहले से अस्तित्व में है, देशभक्त इसी में जन्म लेता है, और इसी के प्रति भक्ति का भाव रखता है। राष्ट्रवादी होना या देशभक्ति की भावना रखना मनुष्य का एक गुण है और हमें राष्ट्रवाद एवं देश भक्ति में भ्रमित नहीं होना चाहिए। क्योंकि हम ही राष्ट्रवादी हैं, और हम ही देश भक्त हैं।


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